राम हिरदा में बाहर क्यों भटके भजन लिरिक्स कबीर भजन तारा सिंह डोडवे







कबीर भजन लिरिक्स: राम हिरदा में बाहर क्यों भटके 
गायक:  तारा सिंह डोडवे
श्रेणी : चेतावानी भजन लिरिक्स 



🙏 चेतवानी  भजन लिरिक्स को विडियो के साथ देखे, समझने में आसानी रहेगी  🙏


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साखी:


"राम राम सब कहे, कहो जी राम का रूप कैसा

कोनसी कोठडी कोनसे दरवाजे में राम है रहता
दीखता है नारी पुरुष एक ही बाना, त्रिकुटी महल में घड़ा है थाना
कहे कबीर प्रतीत कर बावरे राम का रूप तो कोई विरले ही जाना"
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क्यों भटके रे बाहर क्यों भटके, थारो राम हिरदा में बाहर क्यों भटके ||टेर||


ऐसा ऐसा माखन तो दूध में कहिए, बिना मथिये माखन कैसे निकले
थारो राम हिरदा में बहार क्यों भटके
क्यों भटके रे बाहर क्यों भटके, थारो राम हिरदा में बाहर क्यों भटके ||टेर||

ऐसी एसी आग तो लकड़ी में कहिए, बिना घिसिए आग कैसे निकले
थारो राम हिरदा में बहार क्यों भटके
क्यों भटके रे बाहर क्यों भटके, थारो राम हिरदा में बाहर क्यों भटके ||टेर||

ऐसा ऐसा रस तो गीख में कहिए, बिना पीलिए रस कैसे निकले
थारो राम हिरदा में बहार क्यों भटके
क्यों भटके रे बाहर क्यों भटके, थारो राम हिरदा में बाहर क्यों भटके ||टेर||

||संत कबीर साहेब की जय हो ||
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राम हिरदा में बाहर क्यों भटके भजन तारा सिंह डोडवे:

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