माला रो मणियों भजन वाली डोर मारवाड़ी भजन लिरिक्स
मारवाड़ी भजन लिरिक्स जिसमे कबीर दास जी महाराज बताया है की हमें कोनसी माला फेरनी चाहिए और कैसे ? और यह समय सीमित है, इसी बिच कुछ कर ले नहीं तो फिर नहीं मिलेगा ये मनुष्य जन्म इसलिए कहते है मनुष्य जन्म दुर्लभ है मिले न दूजी वार
शाखी
"श्वास श्वास में ना मिले, विरथा श्वास मत खोय
ना जाने इस श्वास का आवन होए ना होए
श्वासा की कर सुमिरनी, और कर अजमन्पा को जाप
परम तत्व हिर्दय धरो, तो सोहम आपो आप
सोहम पोया पवन में, और बंधो सूरत सुमेर
बर्म गाठ हिर्दय धरो, ने इसी विधि माला फेर
माला है निज श्वास की, और फेरेगा कोई दास
चौरोसी भर में नहीं, मीठे काल की फास"
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माला रो मणियों भजन वाली डोर भजन लिरिक्स :
माला रो मणियों भजन वाली डोरी
काचे सूत में पोयो जमारो, माया जाल में खोयो
माला रो मणियों भजन वाली डोर ||टेर||
कभी न आयो सत री सत्संग में, कदी ना आयो हरी की सगत में
उपर वारी में जोयो जमारो, माया जाल में खोयो रे
काचे सूत में पोयो जमारो, माया जाल में खोयो
माला रो मणियों भजन वाली डोर ||टेर||
अलिया रे गलिया फिरे भटकतो, अलिया रे गलिया फिरे डोलतो
मुड़ो काच में जोयो, जमारो माया जाल में खोयो
माला रो मणियों भजन वाली डोरी
काचे सूत में पोयो जमारो, माया जाल में खोयो
माला रो मणियों भजन वाली डोर ||टेर||
गयी रे जवानी आयो बुडापो, धवारा देख ने रोयो
जमारो माया जाल में खोयो रे
माला रो मणियों भजन वाली डोरी
काचे सूत में पोयो जमारो, माया जाल में खोयो
माला रो मणियों भजन वाली डोर ||टेर||
कहे कबीरा सुनो भाई साधो, विरथा जन्म गवायो
जमारो माया जाल में खोयो
माला रो मणियों भजन वाली डोरी
काचे सूत में पोयो जमारो, माया जाल में खोयो
माला रो मणियों भजन वाली डोर
| कबीर साहेब की जय हो ||
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देशी गणपति वन्दना
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