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सकल हंस में राम
विराजे भजन लिरिक्स निर्गुणी कबीर भजन
सकल हंस में राम
विराजे भजन लिरिक्स निर्गुणी कबीर भजन
कबीर दोहा
भवरा दील का बाग़ में, बहु फूलन की आस
हंस
चला घर आपरे, तज बॉडी की आस
कबीर
की वाणी में चार राम का उलेख है:
एक
राम दशरथ का बेटा, दूजा घट घट में बेहटा
तीजे
राम का सकल पसारा, चोथा सब से न्यारा
माला
जपु ना, कर जपु, और मुख से कहू ना राम
राम
हमारा हमें जपे हम पायो विश्राम
कबीर
बहुत भटकिया, मन ले विषय विराम
चालत
चालत जुग भया, दिल के ओठे राम
सकल हंस में राम विराजे भजन लिरिक्स
सकल हंस में राम विराजे, राम बिना कोई धाम नहीं
हर
घट में है जोत है वासा, राम क सुमिरों ने दूजा नहीं ||टेर||
तीन
गुन पर तेज हमारा, पाच तत्व पर जोत जले
जिनका
उजला 14 लोक में, सूरज छोड़ आकाश छड़े
सकल हंस में राम विराजे, राम बिना कोई धाम नहीं
हर
घट में है जोत है वासा, राम क सुमिरों ने दूजा नहीं ||टेर||
नाभि
कमल से परख लेना, ह्रदय कमल बिच फिरे मणि
अनहद
बाजा बाजे शहर में, भरमंड पर आवाज हुई
सकल हंस में राम विराजे, राम बिना कोई धाम नहीं
हर
घट में है जोत है वासा, राम क सुमिरों ने दूजा नहीं ||टेर||
हीरा
मोती लाल जवाहर, अरे प्रेम पदा रथ परखो यही
साचा
मोती सुमर लेना, राम धनी से मारे डोर लगी
सकल हंस में राम विराजे, राम बिना कोई धाम नहीं
हर
घट में है जोत है वासा, राम क सुमिरों ने दूजा नहीं ||टेर||
गुरुजन
होए तो हेली लो घट में , बाहर शहर में भटको मती
गुरु
प्रताप नानक साह के चरणे, भीतर बोले कोई दूजो नहीं
सकल हंस में राम बिराजे, राम बिना कोई धाम नहीं
हर
घट में है जोत है वासा, राम क सुमिरों ने दूजा नहीं ||टेर||
|| कबीर
साहेब की जय हो ||
सकल हंस में राम विराजे विडियो भजन
Sakal Hans Mein Ram Viraje by Shabnam Virmani
कबीर
दास का निर्गुणी भजन: सकल हंस में राम विराजे, राम बिना कोई धाम नहीं,
कबीर दास जी महाराज के निर्गुणी भजन, एक आम आदमी के समझ से परे है, क्यों की कबीर दास के भजनो में एक गुप्त सन्देश छुपा होता
है जिसे समझना बहुत ही जरुरी है, तबी हम
असल मायने में भजन को समझ सकते है और भजन का आनंद ले सकते है|
कबीर दास जी हर पल हमें यह याद दिला रहे है की एक
दिन यह जिव रूपी हंसा अपना यह शरीर छोड़ के अपने घर जायेगा, समय रहते सुमिरन ध्यान करलो
इस भजन में ४ राम का वर्णन है: १. राम दशरथ का बेटा
२. दूसरा राम तो सब घट में बैठा है और 3. राम तो सकल पसारा ४. राम सबसे न्यारा
हम सब अपना जीवन भगवन श्री राम की पूजा पाठ में ही
निकल देते है पर कबीर साहब कहते है राम का मतलब सिर्फ राजा दशरथ के पुत्र श्री राम
नहीं बल्की, राम अपने आप में बहुत बड़ी हस्ती है इस छोटे दायरों से उपर उठो, और आज
के राम को पहचानो जो कण कण में है|
दूजा राम जो हर घट इंसान में विराजमान है, तीजे राम
निर्गुण निराकार है वह एक उर्जा है जो इस पूरी दुनिया को चलाती है और चौथा राम तो
सबसे न्यारा निरंजन निराकार जसकी व्याख्या भी नहीं की जा सकती जिसको मुख पे भी
नहीं लाया जा सकता, इस निरंजन निराकार को सिर्फ अनुभव किया जा सकता है |
इसलिए कबीर साहब कहते है: में ना तो माला जपु ना
अजम्पा जाप करू और ना ही में मुख राम राम करू, कहते है राम तो हमारे अन्दर ही है
और दिन रात राम अथार्थ हमारी आत्मा राम का नाम जप रही है हमें अपने आत्मा की पहचान
करनी चाहिए |
कबीर साहब कहते है की में बहुत भटका राम की खोज में, मन
भी थक गया, पूरा जुग बिट गया राम की खोज में और आखिर राम मिला तो कहा: अपने अन्दर
दिल के ओठे
भजन का सार: बाहर भटकना बंद करो और अपने भीतर की
यात्रा प्रारम्भ करो नर से नारायण होने का रास्ता हमारे अन्दर ही है बस हमें जरूरत
है तो मार्ग दर्शक की, सचे सतगुरु की चरणों में ध्यान भजन सुमिरन करने से आत्म
साक्सात्कार जरूर होगा |
|| सतगुरु देव की जय हो ||
भजन को पूरा देखने के लिए दिल से धन्यवाद, आप हमें निचे कमेंट बोक्स में बताये, यह भजन आप को कैसा लगा
6 Comments
Nice and perfect Bharat
ReplyDeleteदिल छू लेने वाला भजन
ReplyDeletenice
ReplyDeleteअकल्पनीय मीठा अलौकिक अनुभूति
ReplyDeleteYES VERY GOOD SUPER PRABHU SRI RAM GAT ME HI HAI
ReplyDeletebahut hi sunder bhajan
ReplyDeletekabir saheb ke bhajan ke liye
https://abcdlyrics4u.blogspot.com/