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कहा से आया कहा जाओगे कबीर भजन लिरिक्स
कबीर दास जी महाराज इस
भजन में मानव मात्र को समझा रहे है की समय रहते अपने आप की पहचान कर लो की
आप
कोन हो ?
कहा से आये हो ?
क्यों आये हो इस दुनिया में ?
कहा
जाना है ?
सब सवालो का जवाब आप को बाहर खोजने की जरूरत नहीं है कबीर दास जी कहते है की सब सवालों के जवाब हमारे
अन्दर हमारे भीतर, हमारी आत्मा के पास है उसकी खोज करो
Bhajan Mp3 Download Link अंत में जरुर देखे
कबीर दास के भजन दोहे:
“सब
आया एक ही घाट से, उतरा एक ही बाट
ये
बिच में दुविधा बड गयी, तो हो गये १२ बाट
घाटे
पानी सब भरे, अवघट भरे ना कोई
अवघट
घाट कबीर का, भरे से निर्मल होए
हिंदी
कहू तो हु नहीं और मुस्लमान भी ना
गेबी
दोनों बिंध मा, ने खेलु दोनों के माह”
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कहा से आया कहा जाओगे भजन लिरिक्स
कहा
से आया कहा जाओगे, खबर करो अपने तन की
कोई
सतगुरु मिले तो भेद बतावे, खुल जावे अन्दर खिड़की
हिंदी
मुस्लिम दोनों भुलाने, खटपट माया में रहा अटकी
जोगी
जंगम शेख शेवरा, लालच माय रहा भटकी रे
कहा से आया कहा जाओगे, खबर करो अपने तन की
कोई
सतगुरु मिले तो भेद बतावे, खुल जावे अन्दर खिड़की ||टेर||
काजी
बेटा कुरान वाचे, जमीन जोर वो करे करकट की
हरदम
साहेब नहीं पहचाना रे, पकड़ा मुर्गी ले पटका
कहा
से आया कहा जाओगे, खबर करो अपने तन की
कोई
सतगुरु मिले तो भेद बतावे, खुल जावे अन्दर खिड़की ||टेर||
बाहर
बैठा ध्यान लगावे, भीतर सुनता नहीं है हद की
बहार
उजला भीतर गन्दा, मन महल मचली गटकी
अरे
पकड़ा मुर्गी ले पटकी
कहा
से आया कहा जाओगे, खबर करो अपने तन की
कोई
सतगुरु मिले तो भेद बतावे, खुल जावे अन्दर खिड़की ||टेर||
माला
मुद्रा तिलक छापा, तीर्थ वर्थ में रहा अटकी
गावे
बजावे सुने, लोक रिझावे खबर नहीं अपने तन की
कहा
से आया कहा जाओगे, खबर करो अपने तन की
कोई
सतगुरु मिले तो भेद बतावे, खुल जावे अन्दर खिड़की ||टेर||
बिना
विवेक से गीता वाचे, चेतन को लगी ना चटकी *२
कहे
कबीर सुनो भाई साधु, आवा गमन में रहा अटकी
कहा
से आया कहा जाओगे, खबर करो अपने तन की
कोई
सतगुरु मिले तो भेद बतावे, खुल जावे अन्दर खिड़की ||टेर||
कबीर
दास के भजन
कहा से आया कहा जाओगे विडियो भजन लिरिक्स
SINGER: prahlad singh tipaniya ke bhajan
कबीर दास के भजन का भावार्थ:
सभी एक ही
रास्ते से आये है अथार्थ सभी ने जन्म तो माँ की कोक से ही लिया है जन्म से कोई हिंदी
मुस्लिम सिख इसाई नहीं होता |
इसलिए कबीर साहब कहते है ना तो में हिन्दू हु ना
मुसलमान में तो आत्मा हु जो दोनों में रहता हु इसलिए पहचान करनी है है तो आप की
करो अपनी आत्मा की पहचान करो और उसकी पहचान एक सच्चा सतगुरु ही करा सकता है
इसलिए
कहा है सतगुरु मिले तो भेद बतावे खोल दे अन्दर की खिड़की | आत्मा से परमात्मा से
मिलने का रास्ता सच्चा सतगुरु ही बता सकता है |
और जबी आत्मा का परमात्मा से मिलन
हो जाता है तब सब नूर एक ही नज़र आता है सब भेद काले गोर का उच्च नीच जात पात सब
ख़त्म हो जाता है |
परन्तु आज हर कोई जात पात के नाम पे लड़ाई जगडा कर रहे है |
इसलिए कहा है,
काजी बैठा कुरान पड़े और उसके बाद मुर्गा मर के खाए, पर सुने ये नहीं पता की
परमात्मा तो हर सास में निवास करता है |
और कहते है कबीर
साहब की हिन्दू में सभी धर्म गुरु आँखें बंध कर के ध्यान करते है पर अन्दर तो कुछ
और चल रहा होता है इसलिए बोला बहार से उजला और भीतर से गन्दा है मन में पाप है तो
कैसे भगवन मिलेगे |
और दिखने के
लिए गले में माला पहन रहे हो सर पर तिलक करते हो और भगवा कपडे पहनते हो, सिर्फ
लोगो को रिझाने की कोसिस करते हो कैसे मिलेगा भगवन आप का ध्यान तो बाहर है भीतर तो
गन्दगी भरी है
फिर कहा है
बिना विवेक के गीता पड़ने से कुछ फायदा नहीं यदि गीता पड़ने से आप की आत्मा चेतन
नहीं हो रही तो समझ जाओ की आप दिखावा कर रहे हो और सब बेकार है |
कबीर का
सन्देश: बाहर भटकना बंद करो और अपने अन्दर के परमात्मा को खोजना चालु करो उसका
रास्ता एक सच्चा सतगुरु ही बता सकता है | जब आत्मा चेतन हो जायेगी तब आप को सारे
सवालो के उतर खुद ब खुद मिल जायेंगे
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