Kabir Bhajan Lyrics | Satguru Baniya Bhediya | Desi Bhajan Lyrics Free download

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 सतगुरु बनिया भेदिया भजन लिरिक्स 




नमस्कार मित्रो,
आज हम आप को एक बोहत ही सुन्दर गुरु महिमा भजन का लिरिक्स बताने वाले है, जय भजन राजस्थानी मारवाड़ी भाषा में बोला गया है. जो एक लोक गीत के तोर पे बोहत प्रचलित है मारवाड़ राजस्थान में, और इन सब देसी भजनों की लिरिक्स आप को सिर्फ और सिर्फ यहाँ पर ही मिल सकती है तो आप सभी मित्रो से निवेदन है की हमारे इस वेबसाइट को सब्सक्राइब कर लो फटाफट

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Download Mp3 Bhajan Song click here: मारा सतगुरु बनिया भेदिया 


Kabir Bhajan Lyrics, Desi Bhajan Lyrics
सतगुरु और शिष्य का पर्व भाव 


भजन का सारांश सरल शब्दो में :  यह भजन एक गुरु महिमा भजन है जिसमे गुरु और शिष्य के बिच का अति स्नेह भरा वार्तालाप है, जिसमे शिष्य अपने गुरु के प्रति अपने भाव विभोर होकर अपने भाव प्रकट कर रहा है.
इस भजन में सतगुरु को एक डॉक्टर बताया गया है और शिष्य  को एक मरीज,
एक समय की बात है जब शिष्य बीमार हो जाता है लोभ, मोह , माया के जाल में फस जाता है,  तब सतगुरु आते है एक वेध्य बनकर और किस तरह से सतगुरु अपने शिष्य को इस बीमारी से ठीक करते है यह दर्शाया गया है इस भजन में |



सतगुरु बनिया भेदिया भजन लिरिक्स


ओ मारा सतगुरु बनिया भेदिया, मेरी नाडी रे पकड़ी हाथ,...
मेरा धिन गुरु बनिया भेदिया, मारी नाडी रे पकड़ी हाथ ....

उन नाडी में लहर उपजे, हियो हिलोडा खाए, 
ओ सतगुरूजी मुझे ज्ञान दे गये

ओ मारा तन बिछ दियो लगाए सुमिरन चेतन कर गये |

ओ मारा सतगुरु आगन रुखाडी रे, लीजो रे सब कोई, 
मारा धिन गुरु आँगन रुखड़ी, दीजो रे सब कोई, 

अरे अवगुण उपर गुण करे मारा सभी रोग मिट जाए, सभी पाप झड जाए |

ओ सतगुरूजी मुझे ज्ञान दे गये

ओ मारा तन बिछ दियो लगाए
 सुमिरन चेतन कर गये | ....2


मारा सतगुरु सोना सोरामु रे रति भर ना लागे दाग, 
मारा धिन गुरु सोना सोरामु रति ना लागे दाग, ....2


मारा सतगुरु भाला रोपिया रे, मने लागा कलेजा के माये, 
धिन गुरु मुझे घायल कर गये  |

ओ मेरे तन बिछ दियो लगाये सुमिरन चेतन कर गये ..

सतगुरूजी मुझे ज्ञान दे गये


ओ मारा तन बिछ दियो लगाए सुमिरन चेतन कर गये | ..


एजी भाव रूपी फुले घनो रे, अरे फेली रहो चारो और,
 हां भाव रूपी फेलो घनो ने फ़ले रियो चारो और,


अरे भरी सभा में बटना, मारी अनंत सभा में बटना,
 बाटीयो घने रो होए,


गुरु मने घायल कर गया...
ओ मारा तन बिछ सुमिरन लगाए सुमरण चेतन कर गये....2

अरे मन णु मोयलो छोड़ दो रे, इन सुरता रो  कर लो मिलाप  ....2


सेवा गुरु अमृत रो प्यालो दियो मने पीलेये, 
गुर मने धयल कर गया .....2


ओ मारा सतगुरु बनिया भेदिया, मेरी नाडी रे पकड़ी हाथ,...
मेरा धिन गुरु बनिया भेदिया, मारी नाडी रे पकड़ी हाथ ..


उन नाडी में लहर उपजे, हियो हिलोडा खाए, ओ सतगुरूजी मुझे ज्ञान दे गये
ओ मारा तन बिछ सुमिरन लगाए सुमरण चेतन कर गये....



सतगुरु बनिया वेदिया विडियो भजन लिरिक्स 







भजन का अर्थ: इस भजन में यह दर्शाया गया है की अपने सतगुरु को एक शिकित्सक और शिष्य को मरीज बताया गया है।  जिसमे कवी ने लिखा है की सतगुरु डॉक्टर बन जाते है जब उनका शिष्य बीमार हो जाता है (मोह माया में )फिर सतगुरु अपने शिष्य के घर जाते है और उसका हाथ पकड़ते है तो शिष्य के रोम रोम में एक प्रकार का एनर्जी चलने लगाती है और गुरु उसको बिना बोले ही सब बोल जात्ते है।  अतार्थ: गुरूजी अनपे शिष्य के अंदर ज्ञान रूपी दीपका जलाते है और शिष्य को सब समझ आ जाता है की गुरूजी क्या है।  फिर शिष्य अपने शब्दों में बताते है की सतगुरु है क्या। 

जो हम सब को समझना चाहिए  . 

भाव : प्रेम भाव आत्म भाव रखना चाहिए हमें अपने परिवार के प्रति और सभी जिव जन्तुओ पर क्यों की इस सब में परमात्मा का वास है तब जाकर ही हम समझ सकते है की भाव है क्या इसलिए लिखा है भाव रूपी फुले घणो (मतलब जितना जायदा आप प्रेम दोगे  उतना जयादा आप को मिलेगा यही कुदरत की दें है )

जय गुरु देव   .. 




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