मन लागो मेरे यार फकीरी में भजन लिरिक्स
kabir bhajan lyrics-mann lago mero yaar fakiri mein mann lago
कबीर भजन लिरिक्स हिंदी download करे फ्री में और भजन का भावार्थ भी समझे, कबीर दास जी का यह भजन
जिसमे कबीर दास जी बता रहे है की हर इंसान को मन से फकीरी होना चाहिए तभी उस मनुष्य को आत्म सुख का अनुभव
होगा |
इसलिए इस भजन में बार बार बोला गया है मन लागो मेरे यार फकीरी में, मन लागो गरीबी में, कबीर दास जी ने उस आत्म सुख का अनुभव कर के यह भजन लिखा ताकि यह भजन आम इंसान तक पहुचे और सब को आत्म सुख मिले यही भाव से कबीर दास जी महाराज ने यह भजन लिखा,
इसलिए इस भजन में बार बार बोला गया है मन लागो मेरे यार फकीरी में, मन लागो गरीबी में, कबीर दास जी ने उस आत्म सुख का अनुभव कर के यह भजन लिखा ताकि यह भजन आम इंसान तक पहुचे और सब को आत्म सुख मिले यही भाव से कबीर दास जी महाराज ने यह भजन लिखा,
कबीर दोहा:
मन के मते ना चालिए, और मन के मते है अनेक
जो मन पर असवार है, 100 साधु कोई एक
पर मन के हारे हार है और मन के जीते जित
ये मन मिलावे राम से और मन ही करे फजीत
मन लागो मेरे यार फकीरी में भजन लिरिक्स
मन लागो मेरे यार फकीरी में, मनड़ो लागो फकीरी में
जो सुख पावेगा राम भजन में, अरे वो सुख नहीं अमीरी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में, मनड़ो लागो मेरे यार गरीबी में ||टेर||
हाथ में तुम्बा बगल में सोटा, चारों दिशा जागीरी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में, मनड़ो लागो मेरे यार गरीबी में ||२||
जो सुख पावेगा राम भजन में अरे वो सुख ना ही अमीरी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में, मनड़ो लागो मेरे यार गरीबी में
भला बुरा सब का सुन लीजे, अरे कर कुछ राज गरीबी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में, मनड़ो लागो मेरे यार गरीबी में ||३||
प्रेम नगर में रखी है बारी, भली भली आवे सबुरी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में, मनड़ो लागो फकीरी में
मन लागो मेरे यार गरीबी में ||४||
जो सुख पावेगा राम भजन में वो सुख ना अमीरी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में, मनड़ो लागो फकीरी में
कहे कबीर सुनो भाई साधो, साहिब मिलेगा सबुरी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में, मनड़ो लागो फकीरी में
मन लागो मेरो यार गरीबी में
|| बोलो संत कबीर साहेब की जय ||
मन लागो मेरे यार फकीरी में विडियो भजन लिरिक्स
मन लागो मेरे यार फकीरी में भजन का भावार्थ इंग्लिश में
kabir Bhajan Lyrics In English
Don’t follow its endless ways, the mind has twists and
turns! One who can rein in the mind That seeker’s a rare one Lose to the mind
and you lose Win over the mind and you win
The same mind brings you to Raam The same mind can be
your ruin dear friend, my brain
has taken to the living free! Oh dear friend, my brain has been taken to living
the free! The joy of chanting the Name The joy of Raam remembrance Cannot be
found in riches My mind has taken to living free! My mind rejoices in poverty!
What does this free living entail?
A bowl and a staff
is all I carry A bowl and a staff is all I carry Yet my kingdom stretches
wherever I see My mind has taken to living free! My mind rejoices in
simplicity! The joy of chanting the Name Can't be found in plenty My mind has
taken to living free! My mind rejoices in poverty! You may feel shame in
holding a (begging) bowl... ..but Kabir has another message.
What's that?
Praise or abuse,
listen to it all Praise or abuse, listen to it all But don’t stray from
simplicity My mind has taken to living free! What else? This freedom will cost
no money, and no time either This is the kind of freedom Kabir speaks of! What
else does he say about this free living? My dwelling in the city of love
The joy of Raam rememberance Can't be found in riches My
mind has taken to living free! In the end, Kabir says...
Says Kabir, listen seekers Says Kabir, listen seekers The
Lord is found in contentment God is found in contentment My mind has taken to
living free! My mind rejoices in simplicity! My mind has taken to living free!
धन्यवाद भजन लिरिक्स को पूरा देखने के लिए और कुछ त्रुटी हो तो क्षमा करे, और हमें निचे कमेंट बॉक्स में बताये की आप को कोनसे भजन की लिरिक्स चाहिए हमारे अगले पेज पे और कोन सा mp3 भजन download करना है
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1 Comments
Man Lago mero yaar fakri me
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