नुगरा कोई मत रेवणा भजन लिरिक्स | प्रकाश माली भजन Mp3 download


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नुगरा कोई मत रहना भजन: यह कबीर भजन है | इस भजन को कबीर दास जी की छेली कमाली बाई ने लिखा है | जिसमे बताया गया है की नुगरा कोई मत रहना संतो नुगरा मनुष्य तो पशु बराबर है और उस पर असंख्य पापियों का भार है, कमाली बाई कहती है की मुझे पापी मिल जाये तो चलेगा पर नुगरा इंसान नहीं दिखना चाहिए 



यहाँ नुगरा मनुष्य का मतबल है जिस इंसान के जीवन में गुरु और सतगुरु नहीं है, उसे नुगरा कहा गया है | सतगुरु का अर्थ है अपने अन्दर जो आत्मा है उसे परमात्मा से मिलाने का रास्ता बताने वाले को सतगुरु कहा गया है | यही तो अपने जीवन का उधेष्य है और यह एक सच्चे सतगुरु के सिवाय कोई नहीं बता सकता इसलिए तो कहा है गुरु बिना घोर अँधेरा रे संतो | 


जब इंसान के जीवन में सतगुरु का आगमन होता है तो उसकी आत्मा चेतन हो जाती है और इंसान अपनी आत्मा की खोज प्रारंभ करता है अपने गुरु के बताये मार्ग से | इसलिए कहते है बलिहारी गुरु देव की गोविन्द दियो बताये



                                       कबीर भजन दोहा 

"संगत कर लो संत की क्या नुगरा से काम

नुगरा ले जावे नारगी वीरा संत मिलावे राम



संत मिलावे राम ज्ञान री ज्या जया छाडे

दे अपना उपदेश नारगी बहार काडे



बहार काडे नागरी और ले जावे अमर धाम

संगत करजो संत की ने क्या नुगरा से काम

नुगरा नर नहीं चाहिए भले पापी मिलो रे हजार
एक नुगरा रे कारने लाख पापियों रो भार"



नुगरा कोई मत रेवणा भजन लिरिक्स



नर नारायण  थारी देह बनाई, वीरा नुगरा कोई मत रहना
नुगरा मानक तो पशु बराबर, वीरा उनका संग नहीं करना रे

राम का भजन में हालो मारा हंसा, इन जग में थोडा जीवना ||टेर||



18 वर्ण की गाय दुहा वु, वीरा एक बर्तन में लेना हो
मते मते ने माखन लेना, वीरा बर्तन उजला रखना रे

नर नारायण री देह बनाई, वीरा नुगरा कोई मत रहना ||टेर||



काशी नगर में रहता कबीर सा, वे थो कोरा कागज लखता रे
सारा संसारिया में धर्म चलायो, वेथो निर्गुण माला फेरता जी

नर नारायण री देह बनाई, वीरा नुगरा कोई मत रहना ||टेर||


अगलों आवे अगन स्वरूपी, वीरा जल स्वरूपी रहना रे
ज्ञानी के आगे अंजान रहना, वीरा सुन सुन वचना लेवना रे

नर नारायण री देह बनाई, वीरा नुगरा कोई मत रहना ||टेर||


इन संसारिया में आवनो ने जावनो, वीरा वेर किसी से मत रखना
बोले कमाली कबीर सा री छेली, वीरा फेर जन्म नहीं लेवना रे

नर नारायण री देह बनाई, वीरा नुगरा कोई मत रहना ||टेर||


नुगरा मानक तो पशु बराबर, वीरा उनका संग नहीं करना रे

राम का भजन में हालो मारा हंसा, इन जग में थोडा जीवना ||टेर||


|| बोलो अपने मात पिता गुरुदेव की जय ||



नुगरा कोई मत रेवणा विडियो भजन लिरिक्स







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