घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग चेतवानी कबीर भजन लिरिक्स


घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग भजन लिरिक्स

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कबीर भजन लिरिक्स: घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग
गायक:  prahlad singh tipaniya Bhajan
श्रेणी : चेतवानी भजन लिरिक्स


🙏 कबीर भजन लिरिक्स को विडियो के साथ देखे, समझने में आसानी रहेगी  🙏

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साखी: 


“विषय वासना में उलझ कर, जन्म गवाया बाद
अब पछतावा क्या करे, तू निज करनी करिया याद”

“क्या खाना क्या सोवना, और ना कोई फिकर
सतगुरु शब्द विचारिया, और आदी अंत का मिल”

“दिवस गवाया खाय के, रेण ग्वाय सोये के
तेरा हिरा जन्म अनमोल था, और कोडी बंद ले खोर“

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घणा दिन सो लियो रे, अब तो जाग मुसाफिर जाग
घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग ||टेर|| 

पहले सोयो माता के गर्ब में, उल्टे मुख सु झुला
कॉल किया था भजन करूँगा, बहार आकर भूलो

जन्म थारो हो गयो रे, अब तू जाग मुसाफिर जाग
घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग ||टेर||


दूजे सोयो माता की गोद में, दूध पियो मुस्काया
मल मूत्र तेरा धोया, बहन भुआ ऐसा लाड लडावे

झुला दिया बधाई, बधावो थारो हो गयो
अब तू जाग मुसाफिर जाग

घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग ||टेर||


तीजे रे सोयो तिरया की सेज पे, गले में बैया डाली 
मोह मध में भूल गयो तू, मोह मध में फसी गयो रे तू

भूल गयो तू सत कॉल किया था, बयाव थारो हो गयो
अब तू जाग मुसाफिर जाग

घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग ||टेर||


चीता को सोनो बाकि रे रेह गयो, सब लियो है सोही
कहे कबीर थारे जागरण रे, जाग्यो नहीं रे गवार

मरण थारो हो गयो, जाग मुसाफिर जाग
घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग ||टेर||


चौथे सोयो जाए श्मशान, लम्बा पैर पसारी
कहे कबीर थारे, जागरण की रे, जाग्यो नहीं रे गवार

मरण थारो हो गयो रे, जाग मुसाफिर जाग  
घणा दिन सो लियो रे अब तो जाग मुसाफिर जाग ||टेर||


|| कबीर दास जी महाराज की जय हो ||

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