जिसने जाना भ्रम को तन में मारवाड़ी भजन लिरिक्स
मारवाड़ी भजन लिरिक्स: जिसने जाना भ्रम को तन में
गायक: सुखिया बाई
श्रेणी : निर्गुणी भजन लिरिक्स
जिसने जाना भ्रम को तन में सुखिया बाई भजन
🙏 भजन लिरिक्स को विडियो के साथ देखे, समझने में आसानी रहेगी 🙏
साखी:
में मेरे स्वरूप में सदा रहू गल्तार
फिर दुनिया में क्या पड़ा ये घोड़ा मैदान
मेरी मुझको नमस्कार, बार बार हर
बार
ओत पोत में एक है, यही हमारा सार
जिसने जाना भ्रम को तन में, अल मस्त रहे नित मन में
मस्त रहे नित मन में ओ वो मस्त रहे तन में ||टेर||
पूर्ण भ्रम पह्चानिया पीछे, घर में रहो चाहे वन में
संतो घर में रहो चाहे वन में
उसके दोनों एक बराबर, फकड़ बनो चाहे जग में
जिसने जाना भ्रम को तन में, अल मस्त रहे नित मन में
मस्त रहे नित मन में ओ वो मस्त रहे तन में ||टेर||
बोले चाले उठे बेठे, रहे वो अपनी धुन में संतो
पार भ्रम से तार नहीं तोड़े, हर दम रहे हरी गम में
जिसने जाना भ्रम को तन में, अल मस्त रहे नित मन में
मस्त रहे नित मन में ओ वो मस्त रहे तन में ||टेर||
जिसको डोरी लगी भ्रम से, वो नहीं आवे बंदन में संतो
जल कमल वत, रहे जग में,
फसे नहीं बंदन में
जिसने जाना भ्रम को तन में, अल मस्त रहे नित मन में
मस्त रहे नित मन में ओ वो मस्त रहे तन में ||टेर||
आवास दिनों का ज्ञानी शाक्षी, सुख पती जाग्रत सपन में
अचल राम तुरिया है सोही, समझ रहे हो मगन में संतो
जिसने जाना भ्रम को तन में, अल मस्त रहे नित मन में
मस्त रहे नित मन में ओ वो मस्त रहे तन में ||टेर||
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