प्रीत गुरो री भली रे रावलिया जोगी भजन लिरिक्स, गुरु महिमा भजन लिरिक्स

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प्रीत गुरो री भली रे रावलिया जोगी भजन लिरिक्स 

गुरु महिमा भजन 



आज के ज़माने में हम अपने ही कामों में इतना उलझ गये है की, हमें ना तो मंदिर जाने का समय है न गुरु चरण में, न सुमिरण करने का, ऐसे में

सत्संग कहा से होगी ?

भगवन का सुमिरन कैसे होगा ?

सत चित आनंद का अनुभव कैसे होगा  ?

मोक्ष की प्राप्ति कैसे होगी ?

इसलिए हमने यह वेबसाइट बनायीं ताकि आप अपने समय के अनुसार भजन सत्संग कर सके, यहाँ पर आप को सिर्फ भजन की लिरिक्स ही नहीं बल्कि भजन का पूरा ज्ञान मिलेगा, यह वेबसाइट आप को ऐसा अनुभव कराएगी मानो आप अपने ही सद्गुरु, ईष्ट देव के चरणों में बेठो हो,

Bhajan Introduction: 

चंचल नाथ जी महाराज के शिष्य लुम नाथ जी ने यह गुरु वंदना लिखी, प्रीति सद्गुरु की भली संतों, लुम नाथ जी महाराज सभी भक्तों को समझते हुए बता रहे है की संगत करनी है तो संतों की करो जहां से आप को इस भव सागर से पार होने का रास्ता मिलेगा, एक आत्म विश्वास मिलेगा, इस मतलबी दुनिया में जीने का नया किनारा मिलेगा,

भजन के अंत में भजन का मतलब समझे और ऑनलाइन दुनिया में ऑनलाइन सत्संग का अनुभव करें | जय गुरु देव

प्रीत गुरो री भली रे रावलिया जोगी भजन लिरिक्स, गुरु महिमा भजन लिरिक्स


Bhajan Lyrics


प्रीति गुरो री भली रावलिया जोगी,

अलबेला जोगी ओ प्रीति गुरो री भली रे
मस्ताना जोगी, प्रीति गुरा री भली ||टेर||

लवना लागी, ज्योरी भ्रमना भागी
सुरता शब्द में मिली, रावलिया जोगी,

अलबेला जोगी ओ प्रीति गुरो री भली रे
मस्ताना जोगी, प्रीति गुरा री भली ||टेर||

चेतन होए नर सुमिरन कर ले
ओ तार से तार मिले, रावलिया जोगी,

अलबेला जोगी ओ प्रीति गुरो री भली रे
मस्ताना जोगी, प्रीति गुरा री भली ||टेर||

आड़ा उड़द बिच मंदिरे बाजार
सोहम जोत जली, ओ रावलिया जोगी,

अलबेला जोगी ओ प्रीति गुरो री भली रे
मस्ताना जोगी, प्रीति गुरा री भली ||टेर||

चंचल नाथ चरणे, लुमनाथ बोले हो राम
संगत तो संतो री भली ओ

संगत तो सादो री भली रे रावलिया जोगी,
अलबेला जोगी ओ प्रीति गुरो री भली रे
मस्ताना जोगी, प्रीति गुरा री भली ||टेर||


online Hindi Bhajan Sat-sang:

लूम नाथ जी महराज ने अपने पुरे जीवन का सार इस भजन में यह बताया है |

सद्गुरु के चरणों में समर्पण कर लो और प्रीती जोड़ लो, क्यों की सद्गुरु ही हमारे सही मायने में संगी साथी है, देखा जाए तो संसार का हर रिश्ता मोह माया से बंधा है | 

परन्तु गुरु का रिश्ता, गुरु से प्रेम लगन, हमें अज्ञान से ज्ञान की और ले जाती है, हमें वैरागी बना देती है ताकी हम इस माया नगरी में रहे परन्तु किसी भी मोह माया में वशीभूत ना हो | सब में रहे पर सब से परे होकर |

 यह मानो ऐसा है à कमल का फुल रहता कीचड़ में है परन्तु कीचड़ से ऊपर रहता है | ठीक वैसे ही हम संसार में रहे पर अपना अस्तित्व अलग रहे सब से | यह ज्ञान आप को अपने गुरु के चरणों में निरंतर सत्संग करने से ही प्राप्त हो सकता है |

यदि आप के सद्गुरु नहीं है या आप परदेश में रहते हो, तो आप हमारे वेबसाइट पर हर रोज़ एक भजन देखे और समझे आप को ऐसा ही अनुभव होगा जैसा आप को अपने सद्गुरु के चरणों में होता है | 
हमारी पूरी कोशिश है की आप अपने सद्गुरु से जुड़ जाए और सुमिरन करें अपने सद्गुरु का |

यदि आप ने यहाँ तक पड लिया है तो अब आप यह वेबसाइट यही रखे और आँखे बंद करे और १०० बार अपने सद्गुरु का नाम ले, हर नाम के पीछे नम: जरूर बोले |

ॐ सतगुरु देवाय नम:, ॐ शांति नाथजी नम:, ॐ सतगुरु देवाय नम:

हमारा यह वेबसाइट बनाने का ख़ासा मकसद है: आप की 10 मिनट की छोटी सी सत्संग हो जाए और आप अपने गुरु या अपने ईष्ट को याद कर सको

हम सब जानते है आज की दुनिया में इंसान के पास मोबाइल फ़ोन यूज़ करने का समय है पर भगवन को याद करने का नहीं, यही सब बाते सोच विचार कर हमने यह वेबसाइट बनाया है

आप हमारी सहायता कर सकते है आप भी अपने पसंद का भजन लिखे और हमें  इस [email protected] मेल id पे मेल करे हम आप का भजन हमारे वेबसाइट पर रखंगे आप के नाम के साथ, मेरे प्यारे मित्र आप भी हमारे नेक काम में योगदान दे,


धन्यवाद 


विडियो भजन: 












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