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संत लिख्मिदास जी महराज भजन लिरिक्स | नीमन पद मोटो संतो
Guru Mahima Bhajan
Intro:
राजू राम जी के घर माताजी नखी देवी की कोक से संत लिख्मिदास
जी महाराज का जन्म हुआ, गाव जेनार, जिला नागोर, विक्रम संवत १८०७
लिख्मिदाज जी महराज ने अनपे जीवन काल में बोहत ही ज्यादा
भगवन से प्रेम हेत लगाया और अनेखो भजन गाये जो आज भी हमारे मारवाड़ी राजस्थान के
कलाकार गाते है,
संत लिख्मिदास जी महाराज ने माली जाती कुल में जन्म लेकर
अनेख लोगो को सत्संग और मोक्ष का रास्ता बताया |
और आज भी संत लिख्मिदास जी महराज के भजन जिसमे नियम नेकी
भक्ति के अनेखो मार्ग का प्रत्याशित किया गया है | उन्ही भजनों की कड़ी में से यह
एक भजन
आदू आदु पंत नीमन पद मोटो: इस भजन में संत लिख्मिदास जी
महराज नीमन पन्त की बात करते हुए हम मानव जिव को समझा रहे है की सबसे बड़ा इस
दुनिया में कोई पन्त है तो वो है निमं पन्त
अथार्थ: इस संसार में अगर सब से प्रेम भाव से रहे सब को आदर
सत्कार करे हमेशा विनम्रता से बात करे अपने घमंड को बिच में ना लाकर अपने आप को सब
के समान समझे, कुछ जाती, प्रथा, पन्त, उच नीच में फर्क ना कर के सब को एक सामान
नज़र से देखे टी समझो की वो मनुष्य सबसे बड़े पन्त है है यही बात इस भजन में बताई
गयी है
Guru Mahima Bhajan Song Lyrics:
आदी अनादी नीमन पंत मोटो
ओ साधो संतो वाली तिरिया ओ साधो भाई ||१||
बिना भजन कुन तरिया संतो भाई
मूल महल बिच चारो चोकी गनपत आसन धरिया
आशन पूरी एडिक होए बेठा ओ संतो
अरे जाप हो अज्म्पा जपिया ओ संतो भजन
बिना भजन कुन तरिया संतो भाई
आवे ओ पहलों नीमन, मारो मात पिता ने
उत पूत पालन करिया रे संतो ||१ ||
बिना भजन कुन तरिया संतो भाई
दूजो निमन इन धरती माता, ने जिन पर पघला धरिया
रे संतो
बिना भजन कुन तरिया साधो भाई
आदी अनादी नीमन पंत मोटो
ओ साधो संतो वाली तिरिया ओ साधो भाई ||१||
तिजोड़ो नीमन मारा गुरु पिरो ने
ह्रदय में उजाला करिया ओ संतो भाई बिना नीमन कुन
तरिया रे
चोथोड़ी नीमन मारी इन सत री सत्संग ने
जिसमे जाए ने सुधारिय ओ संतो भाई बिना भजन कुन
तरिया
आदी अनादी नीमन पंत मोटो
ओ साधो संतो वाली तिरिया ओ साधो भाई ||१||
नीमन करा मारा सूर्य देव ने सकल उजाला करिया
अरे घनो नीवन इन अन्न देव ने जिनाथी उदर रे
भरिया संतो भाई
बिना भजन कुन तरिया संतो भाई
आदी अनादी नीमन पंत मोटो
ओ साधो संतो वाली तिरिया ओ साधो भाई ||१||
नीमन करा मारा जयोति सरूपाः ने होए इन्दर हो बरसिया
अम्रत वर्षा बर्षण लागी, नीमन जेट जल भरिय ओ संतो
भाई
बिना भजन कुन तरिया संतो भाई
आदी अनादी नीमन पंत मोटो
ओ साधो संतो वाली तिरिया ओ साधो भाई ||१||
बिना पाड रो भवसागर भरियो, बिना पाड भवसागर
भरिया
गुरु चरणों में उभरियो जी
गुरु खिमानजी के चरणे माली लिख्मोजी बोले अरे
भूल भरम सब करिया
बिना भजन कुन तरिया संतो भाई
आदी अनादी नीमन पंत मोटो
ओ साधो संतो वाली तिरिया ओ साधो भाई ||२||
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