चेत रे नर चेत थारो चिड़िया छुग गयी खेत कबीर भजन लिरिक्स
Kabir Bhajan intro:
हर संत पुरुष महारापुरुष ने मानव मात्र को
चेताने की और उनको जगाने की बात कही है और जागने के बाद ही हमें खाने पिने और सुने का
पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो सकता है
चरण दास जी महराज इस भजन में मानव मात्र को
समझा रहे है की: अब तो समय कम बचा है तेरा अब तो इश्वर की भक्ति कर लो, इसलिए इस
भजन में बोला है की चेत रे नर चेत थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे नर नुगरा रे, अभी अगर आप ने इश्वर की भक्ति नहीं की तो आप को
मोक्ष नहीं मिल सकता और पूरी जिंदगी दुःख दर्द में ही गुजारनी पड़ेगी
इस भजन में कबीर दस जी महाराज यही बताना चाहते
है का चेतवानी भजन जिसमे कबीर दास जी महाराज, मनुष्य को समझा रहे है
चेत रे नर चेत कबीर भजन लिरिक्स
कबीर दास
चेत रे नर चेत थार चिड़िया चुग गयी खेत रे, नर
नुगरा रे
अब तो मन में चेत रे, तो अब तो दिल में चेत रे
चेत रे नर चेत थार चिड़िया चुग गयी खेत रे,
गुरु के नाम से आटी रे, अब कुन चडावे थारी घाटी
रे नर नुगरा रे
चेत रे नर चेत थार चिड़िया चुग गयी खेत रे, नर
नुगरा रे
अब तो मन में चेत रे, तो अब तो दिल में चेत रे ||१||
गुरूजी बता वेगा भेद रे, जब मिटेगी कर्म की रेख
रे
नर नुगरा रे अब तो दिल में चेत रे,
नर नुगरा रे अब तो दिल में चेत रे,
गुरूजी बतावे भेद रे जब मिटे जन्म री केद रे, नर
नुगरा रे अब तो मन में चेत रे
चेत रे नर चेत थार चिड़िया चुग गयी खेत रे, नर
नुगरा रे
अब तो मन में चेत रे, तो अब तो दिल में चेत रे
थोड़ो समझ देख ने आख ले रे, अब गाडोरे हो गयो नर
नुगरा रे अब तो मन में चेत रे
चेत रे नर चेत थार चिड़िया चुग गयी खेत रे, नर
नुगरा रे
अब तो मन में चेत रे, तो अब तो दिल में चेत रे
गुरु चरण दास जी वाणी रे, संसार शब्द ना पहचानी
रे
अब तो दिल में चेत रे, नर नुगरा रे
चेत रे नर चेत थार चिड़िया चुग गयी खेत रे, नर
नुगरा रे
अब तो मन में चेत रे, तो अब तो दिल में चेत रे ||१||
कबीर भजन लिरिक्स का भावार्थ
बोहत ही खुबसूरत भजन जिसमे चरण दास जी महाराज
बता रहे है की हम इस दुनिया में रहते रहते सत चित आनंदं में कैसे रह सकते है तो
उसका सिर्फ एक रास्ता है वो है भाग्वास से प्रेम प्रीत करना |
आज की दुनिया में हर इन्सान मोह माया में
सब कुछ भूल गया है की आनंद ख़ुशी होती क्या है तो उसी को इस भजन में बतया गया है
चेत रे नर चेत थारो चिड़िया चुग रही खेत रे: यह
मनुष्य जन्म दुर्लभ है और समय जा जा रहा है चरण दास जी महाराज बता रहे है की समय
रहते तू भगवन की भक्ति कर ले क्यों की मन रूपी चिड़िया तेरा समय रूपी खेत खा रही है
|
जवानी
के दिन चार है और इसमें भगवन का सुमिरन नहीं किया भगवन की भक्ति नहीं करी तो पीछे
बुडापे में कुछ नहीं होगा और ये मन रूपी चिड़िया आप का समय रूपी खेत को चुग चूका
होगा इसलिए समय रहते समझ जा |
भगवन
की भक्ति कर और सत चित आनंद का अनुभव कर इस संसार में रह कर, भगवन
से प्रेम और प्रीत लगाने का आसन रास्ता आप के सतगुरु ही बता सकते है इसलिए चरण दस्
जी महाराज कहते है की नर नुगरा रे अब तो चेत जा और गुरु चरण में जाकर गुरु धारण कर
के वाही सतगुरु रास्ता बताएँगे इसलिए कहा है |
गुरूजी
बतावेला भेद रे जब मिटेंगे कर्म के रेख: सतगुरु ने हजारो साल साधना कर के जो फल
पाया है उससे गुरु अपने शिष्य को आसन मार्ग बताते है की किस तरह वो अपने कर्मो की
रेखा को बदल सकते है | उसके लिए सतत निमय नेकी और पुरुषार्थ करना पड़ता है
चरण
दास जी महराज ने बोहत ही आसन भाषा में बताया है की समय रहते समझ जा और भगवान की
भक्ति कर लो क्यों की इन चंचल काय को कोणी भरोशो मारे भाया रे
आसन
मार्ग भगवन को प्राप्त करने का मार्ग: जब हमारी भगवन या अपने गुरूजी से लगन पकी
होगी तभी हम उस लक्ष्य को हासिल कर पायेंगे और उस चेतन ता के साथ जुड़ कर उस जाग्रत
की साथ्ती से जुड़ पांएगे |
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