में थाने सिमरु गजानंद देवा भजन लिरिक्स गणपति भजन लिरिक्स
गुरु भजन दोहा:
ध्यान मुलम गुरु मुर्ती, पूजा मुलम गुरु पदम
मंत्र मुलम गुरु वाक्यम, मोक्ष मुलम गुरु कृपा
गुरु को कीजे दण्डवत कोटि कोटि प्रणाम
किट ना जाने ब्रंग को गुरु कर ले आप समान
गुरु देवो गुरु देवता, गुरु सारण में सार
गुरु है दाता मोक्ष का, तो गुरु बिन घोर अँधेरा
गुरु गोविन्द दोनों खड़े तो काके लागु पाए
बलिहारी गुरुदेव री, जिन गोविन्द दियो लिखाये
सदा भवानी दाहिनी, तो संमुख रहे गणेश
पांच देव रक्षा करे तो भ्रमा विष्णु महेश
सिंग छड़े तो खुदा मिले, गुरुड छड़े भगवन
बैल छड़े शंकर मिले तो पूर्ण सिद्ध हो काम
सुन्डाला दुःख भंजना, सदा नी बाला वेश
सारो पहला सुमरिये तो गवरी पुत्र गणेश
में आदि दिन गरीब हु प्रभु आप गबीर निवाज
अपनों हिरदो विचार कु, प्रभु दर्शन दीजो आप
मुझ में इतना बल कहा प्रभु, गावू गला पसार
बंधे की यह विनती, पड़ा रहू दरबार
भक्ति दान मुझे दीजिए, गुरुदेवन के देव
और नहीं कछु चाहिए, प्रभु निज दिन चरण
की आस
रामा कहू के राजवी, हीरा कहू के लाल
जाने मिलिया रामदेव, वाने किदा न्याल
लिलो घोड़ो नव्लको, मोतिया झड़ी लगाई
बिंध बनिया है रामदेव, तो रुनिचे रा श्याम
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में थाने सिमरु गजानंद देवा भजन लिरिक्स
में थाने सिमरु गजानंद देवा, में थाने सिमरु विनायक देवा
वचनों रा पालन हारा जियो
सरस्वती माँ शारदा ने सिमरु, हिवड़ा में करो उजला जियो
निंद्रा निवारो भोला नाथ की ||टेर||
जननी नहीं जायो, उदर नहीं आयो
गवारो रो पुत्र केह वायो जियो
में थाने सिमरु गजानंद देवा, में थाने सिमरु विनायक देवा
वचनों रा पालन हारा जियो
सरस्वती माँ शारदा ने सिमरु, हिवड़ा में करो उजला जियो
निंद्रा निवारो भोला नाथ की
पानी सु पातलो पवन सु है झिनो, सोभा वर्णी नहीं जावे जियो
में थाने सिमरु गजानंद देवा, में थाने सिमरु विनायक देवा
वचनों रा पालन हारा जियो, निंद्रा निवारो भोला नाथ की ||टेर||
हाथ रे घालू तो हीरो हाथ में नहीं आवे, मुठिया में नहीं रे सामवे जियो
में थाने सिमरु गजानंद देवा, में थाने सिमरु विनायक देवा
मारे वचनों रा पालन वारा जियो, निंद्रा निवारो भोला नाथ की ||टेर||
बोलिया गोरख नाथ, मचंदर नाथ रा छेला
भक्ति रे पांडवो वाली राखो जियो
में थाने सिमरु गजानंद देवा, में थाने सिमरु विनायक देवा
हो गजानंद देवा, मारे वचनों रा पालन वाला जियो
सरस्वती माँ शारदा ने सिमरु, हिवड़ा में करो उजला जियो
निंद्रा निवारो भोला नाथ की ||टेर||
|| बोलिए श्री गजानंद महाराज की जय हो ||
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