बाबा रामदेव जी कोन थे, उन्हें चमत्कारी संत क्यों कहा जाता है ?
कलयुग के अवतारी पिरो के पीर, बाबा रामदेव जी का जन्म
मेणादे देवी, राजा अजमाल जी के घर, रुणिचा बाड़मेर में
भादुड़े की दूज को हुआ | उनका जीवन काल समय
[१३५२-१३८५].
बाबा रामदेवजी महाराज का जन्म:
बाबा रामदेव जी को कृष्ण भगवन का अवतार माना जाता है, क्यों की रनुजा के राजा अजमल जी घर कोई भी संतान
नहीं थी तो गाव के सारे लोग अजमाल जी को बांजिया कहते थे और प्रजा राजा का चहरा
देखना पसंद नहीं करती थी | एक दिन राजा अजमाल जी को
यह बात पता चली, तब राजा को बहुत दुःख हुआ
की मेरी प्रजा मेरा ही मुख नहीं देखना चाहती | तब राजा ने निर्णय लिया की में द्वारका अपने ईष्ट भगवन
कृष्णा से विनती प्राथना करूँगा
की मुझे इस कर्ज से मुक्त करो या में यही अपने प्राण त्याग दूंगा
जब राजा द्वारका पहुचे और भगवन कृष्ण की मूर्ति के
आगे अपना सर पटकने लगे और पागलों जैसा बरताव करने लगे, यह देख मन्दिर के पुजारी
ने अजमल जी क बोला की भगवन यहाँ नहीं कृष्ण भगवन तो समुद्र के अन्दर है तो अजल जी
बिना सोचो पानी में कूद गये |
तब भगवन श्री कृष्णा ने अजमाल जी क वरदान दिया की में
आप के घर अवतरित होने वाला हु भादुडा की दूज को | और बताया की में आप की दूसरी संतान के रूप में अवतरित हूँगा, जब में घर में प्रवेश
करूँगा तब पचिम दिशा से कुमकुम का पगलिया दिखेगा और दूध मटकी में से बहार आएगा |
बाबा रामदेव जी के परचा:
बाबा रामदेव ने बाल पण से ही परचा और चमत्कार देना
सुरु कर दिया था | पहला पहला परचा बाबा ने
दर्जी को दिया कपडे के घोड़े को आकश में उड़ा कर, दर्जी लोभी और लालसी था तो रामापीर ने यूज़ सबक सिखाने के
लिए उसके बनाये कपडे के घोड़ो में आकाश में उड़ाया |
बाली नाथजी महाराज रामसापीर के गुरुदेव थे | और बालिनाथ जी महाराज के आस पास के इलाके में भेरव नाथ के राक्षश का आतंक और भय था | बाबा रामसापीर ने भेरव नाम के राक्षश को ख़त्म कर गाव में शांति की स्थापना की |
बाबा रामदेव को पिरो का पीर रामापीर क्यों कहते है:
जब रामदेव समझ में हिन्दू
मुस्लिम के भेद बाव को ख़त्म करने का कार्य कर रहे थे तब मक्का के कुछ मोल्वियो
को यह बात कुछ रास नहीं आई और मक्का से ५ सबसे अछे पिरो को बाबा रामदेव की परीक्षा
लेने भेजा |
पाचो पीर को बाबा रामदेव ने भोजन कराया उनके ही बर्तन में जो मक्का में भूल आये
थे पीर, जब पाचो पिरो ने यह देखा तो पीर समझ गये और उसी
दिन से उन पाचो पीर ने बाबा रामदेव जी को एक आशीर्वाद दिया और बोला की हम तो
पीर है पर आप पिरो के पीर के नाम से पुरे विश्व में जाने जाओगे | इसलिए हम आज भी रामापीर
कहते है
जब बाबा रामदेव जी का विवाह हो रहा था तब वह अपनी बहन सुगना
देवी के घर गये, उसी समय काली नाग ने
सुगना बाई के बेटे भानु को काली नाग डंक मर देता है और भानु गिर जाता है सुगना बाई
की गोद में, ऐसे में सुगना बाई रोने
लगती है और उदास हो जाती है और सुगना बाई की सासुमा खुश हो जाती है यह सब देख के, ठीक उसी समय बाबा रामदेव
अपनी बहन को बुलाते है की सुगना बाई में आप को रनुजा ले जाने आया हु चलो तब सुगना
बाई रोते रोते बहार आती है|
और रामदेव जी की आरती उतरती है तभी रामसापीर सुगना
बाई की मन की दसा को समझ के
पूछते है भानु कहा है नज़र नहीं आ रहा, तो सुगना बाई कहती है वह अब कभी नहीं उठेगा इतनी गहरी नींद
में सो गया है | तब पिरो के पीर रामापीर भानु
को आवाज देते है की भानु बेटा देख तेरे मामा आये है |
तो भानु उठ कर बहार आ जाता है यह देख सुगना बाई के घर
वाले रामापीर से माफ़ी मागते है की हमसे भूल हो गयी अब हम सुगना को परेशां नहीं
करेंगे |
लाखू बिणजारा को परचा दिया मिश्री का लूण बना दिया:
लाखू बिंजारा रनूजा का
आहूत बड़ा व्यपारी था और झूट बोल कर लगन और कर ना देना पड़े इसलिए चौकी पर मिश्री
के बोर को नमक का बोरा बताकर व्यपार करता था | जब यह बात बाबा रामदेव को पता चली तब रामदेव जी खुद उस चौकी
पर आये और लाखू बिन्जरा से पुचा की इन बोरो में क्या है तो बोल कुछ नहीं भगवन इनमे
तो नमक है |
रामापीर ने अपने चमत्कार से मिश्री के बोरो को नमक में तब्दील कर दिया, जब यह बात लाखू बिंजारा
को पता चली की उसने जितना भी मिश्री झूट बोल कर लाया है वह सब नमक में बदल गया है तो
लाखू बिंजारा डर जाता है और
र्मपिर से माफ़ी मागता है
ऐसे अनेखो परचे है रामापीर के, रामसापीर आज भी समय समय पर भक्तो को परचा देते
रहते है | रामापीर ने अपने जीवन काल में अनेक मानव कल्याण के
काम करे उनमे से खास है
- समझ से छुआ चूत का भेद मिटाया, डाली बाई को अपने ही घर रखा और समझ में सन्देश दिया की
मनुष्य को उसकी जाती से मत आको,
- हिन्दू मुस्लिम के जगड़ो को मिटाने का कार्य किया |
- जीवन भर मानव कल्याण का कार्य किया, दुखियो की सेवा की अन्धो को आँखे दी, जिसके
पैर नहीं थे उनको पैर दिए |
अंत में अवतारी बाबा रामदेव ने जीवित समधी ली डाली बाई के साथ |
आप को रामापीर के बारे में और भी जानना हो तो हमें निचे कमेंट ओक्स में बताए
धन्यवाद
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२. रामापीर
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