हेलिये परस आत्म दीदार भजन लिरिक्स, निर्गुणी हेली भजन लिरिक्स | कबीर का निर्गुणी हेली भजन

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भजन का परिचय: सबसे बढ़िया कबीर आत्मा बोध भजन, इस हेलिये भजन में बताया है की आप का असली घर कोनसा है और आप  के जन्म लेने का उदेश्य क्या है |

 


1.   भजन के बोल (लिरिक्स)


हेलिये परस आत्म दीदार, रूप निज ओडखो ||टेर||

हेलिये परसिया मिटे दुःख जाल

आत्म सुख परख लो ||

हेलिये परस आत्म दीदार, रूप निज ओडखो ||टेर||


हेलिये घर में मोतीडा री खान, बहार क्यों जावो

हेलिये सतगुरु खोजिय है सुजान, सहज सहज सुख पावो ||

हेलिये परस आत्म दीदार, रूप निज ओडखो ||टेर||


हेलिये कर दो भरमना को छुर आनंद जब आवासी

हेलिये परसों आत्म राम, जेदे ही सुख पावसो |3|

हेलिये परस आत्म दीदार, रूप निज ओडखो ||टेर||


हेलिये पूजो नी पत्थर अनेख, देवल नित गोखिये

हेलिये नहीं मिले अपनो श्याम, भाला ही भट झोकिये ||

हेलिये परस आत्म दीदार, रूप निज ओडखो ||टेर||


हेलिये मल, विक्षेप मिटाए, आवरण दूर करें

हेलिये झिलमिल झलके जोत, सहेज पियु मिले ||

हेलिये परस आत्म दीदार, रूप निज ओडखो ||टेर||


हेलिये देव नाथ गुरुदेव, नित समझा वे है

हेलिये मान सिंह कहे, मान तो दुःख मिट जावे है

हेलिये परस आत्म दीदार, रूप निज ओडखो ||टेर||


हेलिये परस्या मिटे दुःख जाए

आत्म सुख परख लो हेलिये आत्म सुख परख लो, ओरख्लो ||



इस हेलिया भजन का हिंदी में अर्थ (भजन का छिपा हुआ अर्थ): 

आत्म ज्ञान का हेलिये भजन है जिसमें देव नाथ जी महाराज के शिष्य राजा मान सिंह जी सब को समझा रहे है की ये मनुष्य जन्म मिला है बहार मंदिर मजीद, गुरुद्वारा, गिर्जागर  मत भटक, अपने भीतर के घर में आया सब सुख वही पर है |


हेलिये अपने आत्मा के रूप को पहचानो, अनुभव करो, आप को अपनी आत्मा से एकाकार होना है तभी आप के जीवन के सारे दुखो का खात्मा होगा |


फिर कहा है की अपने ही शरीर में हीरो मोती की खान है अथार्थ आप की आत्मा ही आप का असली रूप है उसको पहचानो आप के जीवन के सही समस्या के हल उसके पास है यथार्थ वह हीरे मोती की खान से भी बढकर है


और सतगुरु खोज लिया है आप ने सुजान मतलब परिपूर्ण परमात्मा जिसने अपनी आत्मा से आत्म-साक्षात्कार कर लिया है वाही आप को अपने भीतर की आत्मा से मिला सकते है


इसलिए कहा है हेलिये सतगुरु मिलिया है सुजान, धीरे धीरे आप भी आत्म सुख परख लोगे |


अपनी सतगुरु के आगे अपने आप को पूरी तरह से समर्पण कर लो, इसलिए कहा है हेलिये कर दो भरमना को चूर आनंद तब आएगा, आत्म सुख मिलेगा


यदि आप अपने गुरु के को समर्पण नहीं करते तो, या आप अपने ही गुरु पे संका है भरमना है तो आप कभी सुख नहीं आ सकते क्यों की आप अपने लक्ष से भटक जाओगे


फिर आप मंदिर मस्जिद गिरजा घर जाओगे सुख और आनंद की तलाश में, पर वो तो आप के भीतर ही है उसकी पहचान तो आप के सतगुरु ही करा सकते है |


इसलिए अपने सतगुरु को पूर्ण समर्पण कर के अपने जितने भी भरमना है सब को गुरु चरण में रख दो और वही करो जो सतगुरु बोल रहा है, तब आप अपने आत्मा के करीब आते जाओगे और ऐसे अभ्यास दिन प्रतिदिन करते रहोगे तो एक दिन जरूर आत्म दीदार होगा और आप अपने निज घर में आ जाओगे

धन्यवाद मित्रों हमने पूरी कोशिश की आप को इस भजन को समझा ने की, आप को यह भजन पसंद आये तो अपने मित्रों के साथ शेयर करें और हमें सपोट करें

Thanks You

Singer: Ramchandra Goyal



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