एकला मत छोड़जो भजन | Kabir Bhajan Lyrics | गुरु महिमा भजन Lyrics | Prahlad Singh Tipanya bhajan lyrics


" एकला मत छोड़जो गुरूजी "



भजन लिरिक्स:  भजन को वही समझ सकता है जिसने अपने सतगुरु से प्रेम/प्रीती करी हो  

कबीर साहेब हर मानव जिव को संबोधित करते हुए 


----साखी— 

दाता नादिया एक साम,और सब कहू को देख,
             हाथ कुंभ जिसके जेस, और वैसा ही भरले ।।

            कबीर सोई पीर है,और जो जाने पर पीर ,
            जो पर पीर न जान ही,और सो काफिर बे पीर।।


-----भजन लिरिक्स-----

एकला मत छोड़जो, बंजारा रे बंजारा रे
परदेस का है मामला खोटा हो प्यारा रे
दूर देस रा मामला टेढ़ा हो प्यारा रे"|

एकला मत छोड़जो, बंजारा रे बंजारा रे

अपना साहब जी ने बंगलो बनायो ऊपर राखिया झरोखा रे झांक्या करो प्यारा रे

एकला मत छोड़जो, बंजारा रे बंजारा रे अपना साहब जी ने बाग लगायो, बंजारा रे बंजारा रे फूलां भरी है छाबड़ी पोया प्यारा रे

एकला मत छोड़जो, बंजारा रे बंजारा रे अपना साहब जी ने कुंओ खणायो, बंजारा रे बंजारा रे गहरा भरया नीर वां, नहाया करो प्यारा रे

एकला मत छोड़जो, बंजारा रे बंजारा रे कहें कबीर साह धर्मदास से, बंजारा रे बंजारा रे सत्य अमरापुर पावीया सौदा करो प्यारा रे

एकला मत छोड़जो, बंजारा रे बंजारा रे



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