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हद बेहद दोनों में नही भजन लिरिक्स
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Bhajan Introduction:
निर्गुणी भजन हद बेहद दोनों में नहीं: धनराज जोशी की आवाज में, जो आज के समय में निर्गुणी भजन के बादशाह है |
भजन दो प्रकार के होते है १. सिर्गुनी भजन(अथार्थ जिसमे जैसा भजन है वैसा ही भावार्थ होता है) २. निर्गुणी भजन (अथार्थ ऐसा भजन जो बोल कुछ और भावार्थ कुछ और होता है , जिसे समझना मुस्किल होता है इसलिए हम इस वेबसाइट पे सभी मुस्किल भजनों के सरल भाषा में अर्थ बताते है और ये भजनों का सटीक सरल भावार्थ आप के लिए है आप जरुर से हमरी वेबसाइट से जुड़े और हमें सुजाव दे की हम कैसे वेबसाइट को और अहह बना सकते है
हद बेहद दोनों में नहीं निर्गुणी भजन लिरिक्स
"जहा ना छिटी चढ़ सके, और राई ना ठहराए
मन पवन को खबर नही कहा पहुचाये "
हद बेहद दोनों में दरसे, ओड खो अंतर संतो
नहीं मजिद नहीं मंदिर में ,....१
द बेहद दोनों में दरसे, ओड खो अंतर संतो
नहीं माजिद नहीं मंदिर में ,
गुरूजी का वचन ज्ञान कर सोजो
सोल मूल सागर में ,
गज रा सीस किन दिशा गया, सो दो ला किस गड में संतो
हद बेहद दोनों में दरसे, ओड खो अंतर संतो
नहीं मजिद नहीं मंदिर में
मुसलमान माजिद में पुकारे , कर कर उदा सर ने
ऐ हिंदी दोड दवारका जावे ने पूजे गद्य पत्थर ने
हद बेहद दोनों में दरसे, ओड खो अंतर संतो
नहीं मजिद नहीं मंदिर में
भ्र्मा थाका विष्णु भी थाका
५२ अक्सर काल पसरो उभारो ला किस घर में
अलक पुरुस अटल अविनाशी नहीं आवे देखन ने
कहे लिख्मो कृपा सतगुरु की
पायो भेद भजन में संतो
हद बेहद दोनों में दरसे, ओड खो अंतर संतो
नहीं मजिद नहीं मंदिर में
हद बेहद दोनों में नहीं निर्गुणी भजन विडियो
हद बेहद दोनों में नहीं निर्गुणी भजन राजस्थानी
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