पिचम धारा सु मारा पीर जी पधारिय
Introduction of Bhajan:
बाबा रामसा पीर एक बोहत पुराना भजन आशा जी वैष्णव की आवाज में | यह भजन रानुजा के राजा बाबा राम्देव जी के बचपन के समय का है | जब अजमल जी को कोई भी सन्तान नहीं थी तब अजमल जी महाराज द्वारका नगर गये और भगवन श्री कृष्ण से वचन लेके आये | और कहा जाता है रामापीर भगवन श्री कृष्णा का ही अवतार है इस कलियुग में सुनिए यह भजन
Bhajan Lyrics:
पिचम धरा सु मारो आलम राजा आवे
ओ भगतो रो भिडू आवे धवडी धवडी धजा फद्कावे
रामा धनियों जिहो
धवडी धवडी धजा फद्कावे
रामा धनियों जिहो
धवडी धझा वालो लिले घोड़े वालो , दाड़ी मुछो वालो बाई सुगना रो वीरो रुनिछा धाम वालो
धनिया जियो
जय बाबा री बोले रामापीर जी की
पहलों पहलों परछो बाबा अजमल जी ने दीधो ओ *२
कुमकुम रा पघलिया मंडाया जियो
रामा धनिया जियो
धवडी धझा वालो लिले घोड़े वालो , दाड़ी मुछो वालो बाई सुगना रो वीरो , रुनिछा धाम वालो
बाबो निकलंक नेजा वालो
लिले घोड़े वाला ओ धवडी धझा वाला ओ रोमजी
मारे घर पधारो ओ *२
अजमल जी रे घर आया कुमकुम का पघला मन्दाया
हेलो मारो सुनजो रानुजा ना राजा
हुकम करो तो वीरू जाट रो
मारो हेलो
हेलो संभलो मारा रानुजा का राजा
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