हारे बाबा निर्वाणी भजन लिरिक्स प्रकाश माली भजन
प्रकाश माली भजन लिरिक्स
हां रे बाबा निर्वाणी बम भोला निर्वाणी
पहाड़ो में माया थे मोंडी, हां रे बाबा निर्वाणी
हां रे बाब जियो रे डोकरा निर्वाणी
निर्वाणी रे निर्वाणी रे बाबा निर्वाणी
हिला चाहिजे थारे हिला मंगवा दू, हिला मंगवादु मथुरा थी
हां रे बाब जियो रे डोकरा निर्वाणी
हां रे बाबा निर्वाणी बम भोला निर्वाणी
पहाड़ो में माया थे मोंडी, हां रे बाबा निर्वाणी
जंगल में माया थे मांडी
चिलम पियु थारे गंजो मंगवादु *२
गंजो मागवा दू इन्दोर थी
अरे भंग पियो थारे भंग मागवा दू, भंग मंगवा दू लटीयाली
हां रे बाबा निर्वाणी बम भोला निर्वाणी
पहाड़ो में माया थे मोंडी, हां रे बाबा निर्वाणी
जंगल में माया थे मांडी
आज मारे भोले बाबा भंग घनी पिदी ओ *२
भंग रे नशा में परनवा ने आयो रे
आज मारे जून बाबा भंग घनी पीडी हो
भांग रे नशा में परनवा ने आयो रे
जानिया नहीं लायो रे बाबो जोनानिया नहीं लायो रे
ओ तो भुत ने डाकनियो लेने परनवा आयो रे
आज मारे भोले बाबा भंग घनी पिदी ओ *२
भंग रे नशा में परनवा ने आयो रे
अरे मखोना नहीं लायो रे बाबो पतासा नहीं लायो रे
आंक ने धतुरा लेने परनवा आयो रे
आज मारे भोले बाबा भंग घनी पिदी ओ *२
भंग रे नशा में परनवा ने आयो रे
दरियो नहीं लायो बाबो पडला नहीं लायो रे
फतोड़ाकपड़ो में डोकरो परनवा आयो रे
शिव चरणे पार्वता बोले
बाबा री गम में जानी
हां रे बाबा निर्वाणी
हां रे बाब जियो रे डोकरा निर्वाणी
निर्वाणी रे निर्वाणी रे बाबा निर्वाणी
हांरे बाबा निर्वाणी जियो रे डोकरा निर्वाणी , प्रकाश माली की आवाज में, शिव शंकर चरणे पार्वता बोले की बाबा की गम मेरे सिवाय कोई पहचान नहीं पाया आज तक | भोलेनाथ तो वैरागी है उनको इस संसार से कोई लेना देना नहीं उन्हें तो जंगल और पहाड़ो में रहना पसंद है ना की शहरों में, महादेव तो धतुरा अरपित करने से ही खुश हो जाते है
भजन का भावार्थ
शिव चरणे पार्वता माँ इस भजन में यह समझाने का पर्यास कर रही है की हमारे महादेव हमारे अन्दर ही है यूज़ पहचानो इसलिए कहते है शिव -शक्ति और ये दोनों रूप हमारे में विधमान है बस कमी है तो इसे पहचानने की
हमारे भीतर के महादेव को कुछ भी नहीं चाहिए वह तो एस भजन के माध्यम से बताने का प्रयत्न कर रहे है इस संसार की बुराई को आप मुझे सोप दो बदले में में आप को वैरागी कर दूंगा ताकि आप भगवन का ध्यन कर सको और नर से नारायण बन सको
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